📖 दिव्य खदिरादि वटी — सम्पूर्ण जानकारी
📜 औषधि का प्रकार
👉 आयुर्वेदिक मुखरोग नाशक वटी
दिव्य खदिरादि वटी एक प्रमुख आयुर्वेदिक औषधि है, जो मुख रोग, गले की खराश, छाले, मसूड़ों की सूजन, मुंह की दुर्गंध और गले के संक्रमण में अत्यंत लाभकारी मानी जाती है।
🌿 प्रमुख घटक (Ingredients)
घटक | गुण (Ayurvedic Properties) |
---|---|
खदिर (Acacia catechu) | मुख रोग नाशक, रक्तशोधक |
कट्फल (Myrica nagi) | मुख दुर्गंध दूर करने वाला |
कर्पूर (Camphor) | शीतल व संकोचक |
जायफल (Nutmeg) | मुख-गले की सूजन कम करता है |
लवंग (Clove) | दर्दनाशक, जीवाणु विरोधी |
इलायची | दुर्गंध हटाए, मुँह को शीतल बनाए |
🌱 औषधीय गुणधर्म (Medicinal Properties)
✅ मुखरोग नाशक
✅ सूजनहर
✅ गले को ठंडक देने वाला
✅ रक्तशोधक
✅ मुखदुर्गंध नाशक
✅ एंटीसेप्टिक और एंटीबैक्टीरियल
✅ प्रमुख उपयोग (Indications)
📌 1️⃣ मुखरोग (Mouth Disorders)
-
मुँह के छाले
-
मसूड़ों की सूजन
-
मुँह की दुर्गंध
-
दाँत-दर्द
📌 2️⃣ गले के रोग (Throat Disorders)
-
गले की खराश
-
टॉन्सिल्स
-
गले में जलन
📌 3️⃣ मुखपाक (Oral Ulcers)
-
बार-बार मुँह में छाले होना
-
पित्त या कब्ज के कारण छाले
📌 4️⃣ दांत व मसूड़े
-
मसूड़ों की सूजन
-
रक्तस्त्राव
-
पायरिया
📌 सेवन विधि (Dosage & Method)
उपयोग | मात्रा | सेवन विधि |
---|---|---|
मुख रोग व गले की खराश | 1-2 वटी | चूसकर या पानी के साथ दिन में 2-3 बार |
मुखपाक व छालों में | 1 वटी | चूसकर, दिन में 3-4 बार |
मुख दुर्गंध में | 1 वटी | भोजन के बाद |
⚠️ सेवन में सावधानियाँ
-
5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को न दें।
-
शीत प्रकृति वाले लोगों को सीमित मात्रा में लें।
-
मधुमेह रोगी बिना शहद मिलाए सेवन करें।
📣 प्रमोशनल टैगलाइन (हिंदी में)
“मुंह के छाले, गले की खराश और बदबू का असरदार देसी इलाज — दिव्य खदिरादि वटी!”
“अब बोलिए खुलकर — बिना छाले, बिना बदबू, बिना दर्द — दिव्य खदिरादि वटी के साथ
📜 पारंपरिक घरेलू प्रयोग
-
छालों में खदिरादि वटी को चूसना और त्रिफला पानी से कुल्ला करना लाभकारी।
-
गले की खराश में खदिरादि वटी चूसने के साथ गर्म पानी का गरारा।
-
मसूड़ों की सूजन में वटी चूसने के बाद लौंग के तेल की मालिश।
🎁 स्पेशल टिप्स
👉 मुँह के बार-बार छाले व कब्ज में — त्रिफला चूर्ण + खदिरादि वटी।
👉 पायरिया में — खदिरादि वटी और लौंग तेल मालिश।
👉 गले की खराश में — खदिरादि वटी चूसना और गुनगुने पानी का गरारा।
📖 दिव्य खदिरादि वटी — सम्पूर्ण आयुर्वेदिक विशेष जानकारी
📜 औषधि का प्रकार
👉 मुख व गले के रोगों के लिए विशेष संकोचक (Astringent), मुखशुद्धिकर व मुखशोथहर वटी।
खदिरादि वटी का नाम खदिर (कट्ठा / कत्था) के नाम पर पड़ा है, जो इस औषधि का मुख्य घटक है। इसमें कई प्राकृतिक रोगनाशक, शीतल व सुगंधित द्रव्य होते हैं जो मुँह व गले के सभी रोगों में तुरंत असर दिखाते हैं।
🌿 प्रमुख घटक और उनके गुणधर्म (Ingredients & Properties)
घटक | गुण |
---|---|
खदिर (Acacia catechu) | रक्तशोधक, मुखरोग नाशक, संकोचक |
कट्फल (Myrica nagi) | दुर्गंध नाशक, मुखशुद्धिकर |
कर्पूर (Camphor) | शीतल, शोथहर, संकोचक |
लवंग (Clove) | दंतशूलहर, जीवाणुनाशक |
जायफल (Nutmeg) | मुखविकार नाशक, सुगंधित |
इलायची | मुख दुर्गंध दूर, मुख को ताजगी देने वाली |
शीतल द्रव्य | मुँह के छालों व जलन में आराम |
🌱 औषधीय गुण (Medicinal Properties)
✅ मुख रोगनाशक (Mouth Disease Remover)
✅ मुख दुर्गंध नाशक (Removes Bad Breath)
✅ मुखशुद्धिकर (Cleanses Mouth)
✅ शोथहर (Anti-inflammatory)
✅ गले को ठंडक व आराम देने वाली
✅ एंटीसेप्टिक, एंटीबैक्टीरियल
✅ दर्दनाशक (Analgesic)
✅ चिकित्सकीय उपयोग (Therapeutic Indications)
📌 1️⃣ मुख रोग (Mouth Disorders)
-
मुखपाक (छाले)
-
मसूड़ों की सूजन
-
मुंह से खून आना
-
पायरिया
-
मुँह की बदबू
📌 2️⃣ गले के रोग (Throat Disorders)
-
गले की खराश
-
टॉन्सिल्स
-
कफ के कारण गले में बलगम
-
गले की सूजन व दर्द
📌 3️⃣ मुख दुर्गंध (Halitosis)
-
भोजन पचने में गड़बड़ी से मुँह से बदबू
-
मुँह में सड़न पैदा करने वाले कीटाणुओं का नाश
📌 4️⃣ दांत व मसूड़ों की समस्याएँ
-
पायरिया
-
मसूड़ों से खून आना
-
दांत दर्द
📌 सेवन विधि (Dosage & Administration)
रोग | मात्रा | सेवन विधि |
---|---|---|
गले की खराश | 1 वटी | चूसकर, दिन में 3-4 बार |
मुखपाक | 1 वटी | चूसना या टुकड़ों में तोड़कर छाले पर लगाना |
दुर्गंध | 1 वटी | भोजन के बाद या जरूरत अनुसार |
दांत दर्द | 1 वटी | चूसना व लौंग का तेल लगाना |
👉 5-6 साल से ऊपर के बच्चे को आधी वटी।
👉 5 साल से छोटे बच्चों को न दें।
⚠️ सेवन में सावधानियाँ
-
अधिक मात्रा में न लें, अत्यधिक शीतल प्रकृति।
-
शीतकाल में सीमित सेवन करें।
-
गर्भवती महिला व स्तनपान कराने वाली मां डॉक्टर की सलाह पर लें।
📣 प्रमोशनल स्लोगन (हिंदी में)
“छाले, खराश या बदबू — बस खदिरादि वटी चूस लो!”
“स्वस्थ मुँह, ताजगी भरी साँस — दिव्य खदिरादि वटी के साथ!”
“गला बने साफ, मुँह रहे ताज़ा — हर समय!”
📦 उपलब्धता
-
पैकिंग: 80 टैबलेट
-
कीमत: ₹60
📜 पारंपरिक प्रयोग
-
छालों में त्रिफला पानी से कुल्ला और खदिरादि वटी चूसना।
-
गले की खराश में गर्म पानी में नमक डालकर गरारा और वटी चूसना।
-
बदबू में त्रिफला चूर्ण रात को और दिन में वटी चूसना।
🎁 स्पेशल टिप्स
👉 ऑफिस, ट्रेवल या मीटिंग में मुँह की बदबू के लिए जेब में रखो।
👉 बच्चों के बार-बार छाले में — खदिरादि वटी + त्रिफला चूर्ण।
👉 गले की सूजन में — खदिरादि वटी और काढ़ा (मुलेठी+कंफर+लवंग)।
Reviews
There are no reviews yet.