आपका प्रश्न शायद “Aastha KUSHA AASANA” से संबंधित है, जो संभवतः “कुश‑आसन” (Kusha Aasana) हो सकता है—एक पारंपरिक कुशा घास से बना ध्यान/पूजा के लिए प्रयुक्त आसन। मैंने इसी संदर्भ में जानकारी जुटाई है—नीचे विस्तार से समझिए:

यह एक YouTube thumbnail चित्र प्रतीत होता है जिसका शीर्षक में “Kusha Aasan” लिखा है, जो कुशा आसन के एक संभावित दृश्य को दिखाता है।
कुशा आसन (Kusha Asana) — परिचय
-
प्राचीन शास्त्रीय संदर्भ: भगवद गीता (6.11) में उल्लेख है कि योगाभ्यास के लिए स्वच्छ स्थान पर कुशा घास, मृगछाला और वस्त्र बिछाने की बात कही गई है —
“शुचौ देशे प्रतिष्ठाप्य स्थिरमासनमात्मनः | नात्युच्छ्रितं नातिनीचं चैलाजिनकुशोत्तरम्” -
कुशा घास का महत्व:
-
एक प्राकृतिक & पवित्र सामग्री जो ध्यान, पूजा और जाप में स्थिरता प्रदान करती है।
-
यह नकारात्मक ऊर्जा को अवशोषित कर सकारात्मक ऊर्जा को बनाए रखती है।
-
इसे प्राकृतिक व ऊर्जा‑संरक्षण गुणों वाला माना जाता है।
-
-
वास्तविक उपयोग:
-
हाथ से बनी चटाई, ध्यान के लिए उपयुक्त सतह प्रदान करती है।
-
हल्की, पोर्टेबल, और पारंपरिक धार्मिक अभ्यासों में उपयोगी।
-
मंदिर, पूजा स्थल या साधना कक्ष में रखी जा सकती है।
-
विशेषताएँ और ख़रीद विकल्प
कुशा आसन वाले उत्पाद आम तौर पर निम्न फ़ीचर्स के साथ मिलते हैं:
| विशेषता | विवरण |
|---|---|
| सामग्री | कुशा घास (Desmostachya bipinnata), कभी-कभार ऊन या कपड़ा के संयोजन के साथ |
| आयाम | लगभग 60 × 60 सेमी, मोटाई ~10 मिमी, वज़न लगभग 800 ग्राम |
| रंग और डिजाइन | आम तौर पर नारंगी, लाल आदि रंग, हाथ से बुने हुए होते हैं |
| लाभ | ऊर्जा संरक्षण, ध्यान में स्थिरता, आस-पास की नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा |
उदाहरण:
-
Orange Kusha Grass & Wool Aasan — नारंगी रंग, 60×60 सेमी, ऊन एवं कुशा का संयोजन
-
Red Kusha Grass & Wool Aasan — पवित्रता और ऊर्जा संरक्षण गुणों वाला लाल रंग विकल्प
-
Vaidik Kusha Asana — पारंपरिक, टिकाऊ और संरचनात्मक दृष्टि से उपयोगी
उपयोग और महत्व
-
ध्यान/पूजा में उपयोग: कुशा आसन को बिछाकर बैठने से ध्यान या जाप की ऊर्जा जमीन में व्यर्थ नहीं जाती बल्कि स्थिर रहती है।
-
ऊर्जा संरक्षण: यह आसन ऊपर से सकारात्मक ऊर्जा बनाए रखता है और नकारात्मक ऊर्जा को अवशोषित करता है।
-
विश्राम सहित स्थिरता: अधिक आरामदेह नहीं लेकिन ऐसी सतह प्रदान करता है जिस पर लंबे समय तक आसन किया जा सके।
सारांश (संक्षेप में)
-
कुशा आसन एक पारंपरिक, पवित्र और प्राकृतिक ध्यान व पूजा का आसन है, जिसे कुशा घास से बनाया जाता है।
-
शास्त्रीय संदर्भ में इसे उत्तम सतह माना गया है, जो योगाभ्यास में स्थिरता प्रदान करता है।
-
यह ऊर्जा संरक्षित सतह है, जो सकारात्मक ऊर्जा को बंद रखता है और नकारात्मकता को अवशोषित करता है।
-
खरीदने पर यह आमतौर पर 60×60 सेमी, 10 मिमी मोटा, और 800 ग्राम वज़नी, हस्तनिर्मित मैट होता है।



यहाँ कुशा आसन (Kusha Asana या Kushasana) — एक पारंपरिक ध्यान और पूजा के लिए उपयोग होने वाला पवित्र आसन — की विभिन्न तस्वीरें हैं। इनमें आप हाथ से बुनी गई कुशा घास से बनी चटाइयाँ देख सकते हैं जो पूजा, ध्यान और नियत स्थानों पर इस्तेमाल के लिए उपयुक्त होती हैं।
कुशा आसन (Kushasana) — विस्तृत जानकारी
1. पौराणिक और शास्त्रीय महत्त्व
-
भगवद गीता (6.11–12) में बताया गया है कि योगाभ्यास हेतु शांत और शुद्ध स्थान पर कुशा घास बिछाकर, उसके ऊपर हरणत्वचा (जैसे हिरण की खाल) और फिर मुलायम वस्त्र रखकर ही ध्यान करना चाहिए। आसन न तो बहुत ऊँचा हो, न ही बहुत नीचा होना चाहिए। इससे मन और इंद्रियों का नियंत्रण संभव होता है।
-
पवित्रता और ऊर्जा संरक्षण: कुशा घास को आत्मिक और भौतिक स्तर पर शुद्ध करने वाला माना गया है, जो नकारात्मक ऊर्जा को दूर कर सकारात्मक ऊर्जा को बनाए रखता है।
2. व्यावहारिक और आध्यात्मिक फ़ायदे
-
ऊर्जा संरक्षण व कृषि संपर्क से बचाव: यह आसन जमीन से सीधे संपर्क कम करता है, जिससे ऊर्जा का अनावश्यक क्षरण रूकता है।
-
स्थिरता और मानसिक स्पष्टता: क़ायम सतह होने के कारण ध्यान की अवधि में स्थिरता मिलती है और मन की एकाग्रता बढ़ती ह
-
ठंड और नमी से सुरक्षा: जमीन की ठंड या नमी से बचने में कुशा घास प्रभावी होती है।
-
ऋतुभक्ति प्रथाओं में उपयोग: पूजा, होम या मंत्र जाप जैसे धार्मिक क्रियाओं में इसे पवित्र आसन के रूप में अपनाया जाता है
-
घरेलू और वास्तु उपयोग: ध्यान कक्ष या पूजा स्थल में सकारात्मक ऊर्जा प्रवाह, मानसिक शांति एवं वास्तु संतुलन के लिए उपयोगी
3. निर्माण और देखभाल
-
सामग्री व निर्माण: कुशा घास स्वाभाविक, जैव-विघटनीय और हस्तनिर्मित होती है। पारंपरिक रूप से कुटीर उद्योग से जुड़ी तकनीकों से बुनी जाती है।
-
देखभाल के उपाय:
-
इसे नमी से दूर रखें, सीधी धूप न लगने दें।
-
नियमित रूप से हल्के सूखे कपड़े से पोछें।
-
आध्यात्मिक रूप से शुद्ध करने के लिए सूर्य प्रवाह, गायजल स्प्रे या मंत्रों का उपयोग करें।
-
संक्षेप तालिका
| पहलू | विवरण |
|---|---|
| शास्त्रीय आधार | भगवद गीता में उल्लेख अनुसार ध्यान के लिए आदर्श आसन |
| आध्यात्मिक लाभ | मानसिक स्थिरता, ऊर्जा संरक्षण, नकारात्मकता से रक्षा |
| व्यावहारिक लाभ | ठंड/नमी से सुरक्षा, वास्तु-उपयोग, पोर्टेबल सहजता |
| निर्माण | कुशा घास की हाथ से बुनी सतह, पारंपरिक तकनीक |
| देखभाल | सूखा रखें, ताप/मंत्र शुद्धिकरण, हल्का पोछा |
| आध्यात्मिक संगतता | प्रतिपक्षी ऊर्जा से साधक को बचाव व फोकस बनाए रखना |
यदि आप चाहें, तो मैं आपको यह भी बता सकता हूँ:
-
कैसे स्वयं कुशा आसन बनाएं (घास चुनना, बुनाई तकनीक, संरचना आदि)
-
विभिन्न आयामों/डिज़ाइनों में उपलब्ध भारतिय विकल्प
-
उपनिषदों या अन्य शास्त्रों में आसनों पर निर्देशों का विस्तार




Reviews
There are no reviews yet.